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October 12, 2016

एक खुला पत्र फेसबुक के रावण भक्तो के नाम

हे  रावण भक्तो 
सादर सप्रेम नमस्ते
पता चला की तुम्हारे इष्ट में कितनी अच्छाईया थी इस बार फेसबुक पर।  कितना विलाप हुआ उसके पुतले जलने पर इस बार इस फेसबुक भूमि पर इतना तो लंका की भूमि पर तब नहीं हुआ होगा जब वो मारा सॉरी "मरे " होंगे।  
ख़ैर उनका गुणगान करने वालो ने अभी तक किसी भी स्टेटस में उनको " श्री रावण जी " कह कर संबोधित नहीं किया हैं।  इतना हक़ तो बनता हैं ना आप के इष्ट देव का।  
जी हाँ सालो साल से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के भक्त आप के इष्ट का पुतला फूंक कर याद कर रहे हैं की अगर किसी में इतनी बुराइयां एक साथ हो जितनी रावण ने अपने अंदर समा ली थी तो उसकी मृत्यु बेशक एक बार होती हैं लेकिन उसका पुतला सदियों तक सुलगता हैं।  
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के भक्तो ने ऐसा कभी नहीं कहा की उनके इष्टदेव अपने मनुष्य रूप में गलतियों से बचे रहे।  विष्णु का अवतार होते हुए भी मनुष्य रूप में उन्होने हर वो दुःख तकलीफ झेली जो साधारण मनुष्य झेलता हैं और राजा बनने के बाद भी प्रजा के तंज से ना बच सके।  अपनी पत्नी को गर्भवती होने के पश्चात भी वन भेज कर सदियों के लिये अपने माथे पर कलंक का टीका  लगाया।  मनुष्य थे , यानी गलतियों के पुतले।  
रावण भक्तो आप का तर्क की रावण एक अच्छा भाई था , बहुत बढ़िया लगता हैं।  बड़ा तर्क संगत हैं आज के परिवेश में।  आप कहना  चाहते हैं अच्छा भाई वो होता हैं जो अपनी बहिन के अपमान का बदला दूसरे की माँ बहिन बीवी करके लेता हैं।  शायद ये रावण से ही इंस्पिरेशन लेकर पुरुष सदियों से नारी पर यही करता आया हैं।  यानी अपनी बहिन , बीवी , माँ बस अपनी बाकी सब केवल और केवल औरत।  
और ये तर्क की आप के इष्ट रावण ने सीता को तो छुआ ही नहीं सुन कर बड़ा अच्छा लगा , क्योंकि रोज ही सुनाई देता हैं मोलेस्टेशन और रेप में अंतर होता हैं।  आँख से वस्त्र उतारने में और हाथ से वस्त्र उतारने के अंतर को आप और आप के इष्ट दोनों मानते रहे।  
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का जनम कथाओ के अनुसार व्यभिचारी अत्याचारी अहंकारी आपके इष्ट रावण को मारने के लिये ही हुआ था ऐसा कथाओ में हैं कहानियों में हैं।  आपके इष्ट देव रावण को स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी ने एक ज्ञानी माना हैं उन्ही कथाओ में लेकिन जैसे कभी ना कभी हर बुराई का अंत होता हैं वेसे ही रावण का भी हुआ और बुराई के अंत को याद करने के लिये पुतला जल रहा है 
कुछ प्रश्न शूपणखा और कैकई और मंथरा के पुतले जलाने को लेकर भी हैं , अब स्त्री समाज में हमेशा दोयम रही हैं तो उसका पुतला बना कर जलाने योग्य कैसे समझा जाता।  

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