मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

December 31, 2011

मेरा कमेन्ट

आप की एक अभिन्न ब्लॉग मित्र हैं जो आज कल ब्लॉग लेखन में उतना सक्रिय नहीं हैं उनकी एक पोस्ट आयी थी
जिस पर मैने कमेन्ट दिया था जो मैने अपने ब्लॉग पर सहेज दिया हैं क्युकी उनकी पोस्ट पर कमेन्ट दिखने बंद है .
here is the link
http://mypoeticresponse.blogspot.com/2010/10/blog-post_26.html
उस पोस्ट पर
here is the link
http://swapnamanjusha.blogspot.com/2010/10/blog-post_26.html#comment-form
आप की क़ोई आपत्ति नहीं याद पड़ती ????? ना ही मेरे कमेन्ट की तारीफ में आप का क़ोई कमेन्ट .
ख़ैर आते हैं अन्ना की बात पर और ब्लॉग जगत की "नारी " की चुप्पी पर कारण सहज हैं ये वक्तव्य एक पुरुष का हैं और सारे पुरुष जैसे राज भाटिया एक स्वर में इसके समर्थन में खड़े हैं और रहेगे जैसे उस पोस्ट पर थे जो आप की मित्र की थी , वो महिला हो कर ये सब कह सकती थी और इस ब्लॉग जगत में समर्थन भी पा सकती थी . तारीफ़ भी और नारी ब्लॉग पर अगर सही भी लिख दिया जाये तो मुझे आप जैसे सहज ब्लॉगर भी "विघ्नसंतोषी" की उपाधि से नवाजते हैं .
here is the link
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2010/11/blog-post_9611.html?showComment=1290494506029#c4501753229830411178
आज के अखबार में एक और खबर हैं ऐसी ही एक पुलिस अधिकारी ने कहा हैं की महिला के कपड़े रेप का कारण हैं और चिदम्बरम ने तुरंत उस ब्यान को ख़ारिज किया हैं , वो भी चाहते हो इंतज़ार कर सकते थे की कब महिला आयोग जागेगा .
पुरुष की गलत ब्यान बाज़ी के खिलाफ पोस्ट लिखी नहीं की "नारी " पुरुष विरोधी हो गयी . अभी ३ कमेन्ट हैं और २ आप के विचारो के खिलाफ हैं जो की "पुरुष" के कमेन्ट हैं , वो "पुरुष " जो अन्ना में भी सहज रूप से बैठा हैं .

इन सब बेहूदी बातो का विरोध नारी ब्लॉग पर बंद हो गया हैं क्युकी नारी ब्लॉग पर मोरल पुलिसिंग बंद कर दी वो मोरल पुलिसिंग जो सदियों से पुरुष नारी की करता हैं

आप ने माना की ब्लॉग जगत की "नारी " का विरोध सही होता हैं इसके लिये थैंक्स , हाँ कह सकते हैं देर आये दुरुस्त आये ।

मेरा कमेन्ट

December 27, 2011

हिंदी ब्लोगिंग की पहचान

हिंदी ब्लोगिंग की पहचान अब तक केवल और केवल हिंदी साहित्य की शाखा के रूप में हो पाई हैं । हर मीटिंग , मेल जोल ब्लॉगर मिलन , खान पान , दोस्ती , भाईचारा , बहनापे और कविता पाठ , किताब विमोचन गीत ग़ज़ल और पीना पिलाना तक ही सिमित हुआ हैं ।
वो ब्लॉगर भी जो मुद्दों से जुड़ कर ब्लॉग पर लिखते इन मीटिंग में केवल और केवल मनोरंजन की चाह और मेल जोल के लिये ही जाते हैं
ना जाने कितने ब्लॉग पर पिछले एक महीने या दो महीने में ब्लोगिंग , टिपण्णी , पाठक , कंटेंट , और भी ना जाने कितने विषयों पर पोस्ट आयी हैं पर साल के अंत में बात वही की वही हैं
सक्रियता से वही मिल जुल रहे हैं जो साहित्यकार बनना चाहते हैं , कवि कहलाना चाहते हैं ।
सिमित दायरा हो गया हैं हिंदी ब्लोगिंग का या सिमट गयी हैं हिंदी ब्लोगिंग
पता नहीं पर ब्लोगिंग का जो स्वरुप हैं या जिस स्वरुप की कल्पना कर के या जिस स्वरुप की खोज में हिंदी ब्लॉग लिखना शुरू किया था वो स्वरुप कही नहीं हैं
सभी को आने वाले वर्ष की बधाई

December 09, 2011

मेरा कमेन्ट

हर देश के अपने कानून हैं और उनको मानना चाहिये

हमारी क़ोई भी कंपनी या व्यक्ति किसी भी देश में जाता हैं तो उसको मजबूर किया जाता हैं कानून मानने के लिये और सजा भी दी जाती हैं
लेकिन हमारे यहाँ उलटा हैं
ये कंपनियां अपने देश के कानून के हिसाब से चलती हैं और हमारे यहाँ का कानून मानने से इंकार करती हैं

६० साल की आज़ादी के बाद भी ऐसा लगता हैं जैसे वो हमारे यहाँ ऑफिस खोल कर क़ोई अहसान कर रहे हैं

December 04, 2011

जानकारी चाहिए

माँ - पिता की एक अपनी व्यक्तिगत लाइब्ररी हैं जिस मै हिंदी की कुछ पांडुलिपियाँ और पुस्तके हैं जो अब नहीं मिलेगी । माँ अब ये सब पुस्तके किसी अच्छी संस्था को सौपना चाहती हैं जहां ये हिंदी के छात्रो के काम आ सके । अगर किसी के पास ऐसी किसी भी संस्था अथवा लाइब्ररी का पता हो तो निवेदन हैं मुझ से संपर्क कर ले ।

ये व्यक्तिगत लाइब्ररी इस समय गाजियाबाद में हैं और पुस्तके वही से आकर ली जासकती हैं

December 02, 2011

मेरा कमेन्ट

इस पोस्ट का महत्व इसलिये हैं क्युकी सोचने की जरुरत हैं . जो जानकारी हैं उसको बांटने का मन हैं

जो लोग ये कह रहे हैं की भारत में डिग्री खरीदी जाती हैं गलत नहीं हैं पर क्या वो जानते हैं की ये चलन विदेशो में यहाँ से ज्यादा हैं . आप नेट पर जाकर गूगल करिये गेट डिग्री तो आप को हजारो ऐसी उनिवार्सिटी दिखेगी जो अमेरिका और ब्रिटेन के छोटे शहरो में बसी हैं और दूर शिक्षा के माध्यम से आप को किसी भी डिग्री को उपलब्ध करा देगी बस पैसा होना चाहिये .
इसके अलावा बहुत सी प्राइवेट बेहतर शिक्षा का "भरोसा " दे कर भारत से लोगो को लुभा कर वहाँ बुलाती हैं और बाद में वहाँ पहुचने पर पता चलता हैं की वहाँ पढायी की क़ोई व्यवस्था नहीं हैं हा डिग्री मिलती हैं .
जो डॉक्टर की पढाई यहाँ कम में होती हैं वही वहाँ ३ गुना ज्यादा फीस में होती हैं क्युकी उसके बाद लोगो को लगता हैं वहाँ सैलिरी भी ३ गुना मिलेगी .
पिछले एक साल में ना जाने कितनी फेक उनिवार्सिटी का पर्दाफाश हुआ हैं ज़रा गूगल कर के देखे .

फरक इतना हैं की अभी भी आम भारतीये को विदेशी दंद फंद का पता नहीं हैं वो केवल अपने , अपने लोगो बेईमान समझता हैं .
असली फरक हैं न्याय व्यवस्था का , वहाँ के कानून सख्त हैं पर केवल वहाँ के नागरिक इस का फायदा उठा सकते हैं भारतीये नागरिक है ही दोयम दर्जे के दूसरी जगह .

अब बात कर ते है की जो डॉक्टर हैं वो अगर आ ई अस बन जाते हैं तो किसी और का नुक्सान हो जाता हैं और वो अपनी शिक्षा और डिग्री का फायदा नहीं लेते हैं
इस से ज्यादा भ्रमित करने वाली बात हो ही नहीं सकती हैं
आ ई अस में आने के बाद आप जिस विषय में पारंगत है आप को उस विषय से सम्बंधित विभाग के मंत्री के नीचे काम करना होता हैं . स्वस्थ्य मंत्रालय में काम देखने के लिये डॉक्टर से बेहतर कौन हो सकता हैं ??? और क्युकी हमारे यहाँ मंत्रियों के लिये क़ोई डिग्री का प्रावधान नहीं हैं इस लिये उनके नीचे काम करने वाले डिग्री होल्डर हो तो कुछ तो व्यवस्था ठीक होगी .
जिसके पास कानून की डिग्री नहीं होगी उसको तो किसी अदालत में अपनी बात कहने का भी अधिकार नहीं हैं चाहे वो कानून की शिक्षा में कितना भी पारंगत क्यूँ ना हो .
शिखा जी आप जिस शिक्षा की बात कर रही हैं वो शायद किताबी शिक्षा नहीं हैं केवल जीने की और आत्म सम्मान से जीने की शिक्षा हैं , नैतिकता की शिक्षा जो सही हैं किताबी ज्ञान से डिग्री से ये नहीं आता हैं लेकिन { मजाक में ले } मोरल साइंस की भी डिग्री दी जाती हैं जो पादरी , नन , पंडित इत्यादि लेते हैं .
नैतिकता , जीवन का संघर्ष और ईमानदारी व्यक्तिगत होते हैं और इसको माँ पिता भी एक लिमिट तक ही अपने बच्चो में स्थापित कर सकते हैं बाद में survival of the fittest and self will power and needs , ही काम आते हैं .

आज अन्ना की टीम में जितने लोग हैं सबके पास डिग्री हैं तभी वो व्यवस्था से डंके की चोट पर लडते हैं , एक अईअस हैं दूसरा आईपीअस ,तीसरा वकील
अन्ना के पास जितनी शिक्षा हैं वो इन तीनो के पास नहीं हैं पर इन तीनो की डिग्री के बिना अन्ना की लड़ाई भी संभव नहीं हैं

December 01, 2011

मेरा कमेन्ट

मेरी असहमति दर्ज की जाए

डिग्री और शिक्षा
इस विषय पर ध्यान देने की बात हैं की अगर किसी को जीविका चलानी हैं तो किसी ना किसी डिग्री की आवश्यकता होती ही हैं { डिग्री से अर्थ हैं उस विषय में जिस में किसी को नौकरी करनी हैं ना केवल पारंगत होना अपितु उस पारंगत होने का प्रमाण पत्र भी होना } डिग्री महज एक प्रमाण पत्र हैं उस विषय में आप प्रवीण हैं इसका .
शिक्षित होना बिना डिग्री के भी हो सकता हैं लेकिन जहां डिग्री धारी खड़े होते हैं वहाँ केवल शिक्षित को नौकरी शायद ही मिले .
शिक्षा से आप के सोचने का नजरिया बदलता हैं
आप का ये कहना गलत हैं की हमारे यहाँ शिक्षा का स्तर नीचा हैं और डिग्री आराम से मिल जाती हैं . हमारे यहाँ डिग्री होल्डर इस लिये ज्यादा हैं क्युकी हमारे यहाँ शिक्षा को महत्व दिया जाता हैं . हमारे यहाँ शुरू से गुरुकुल की परम्परा रही हैं जहां शिक्षा और स्वाबलंबन की शिक्षा साथ साथ दी जाती हैं .
खुद ओबामा ने कहा हैं की भारत के ऊँचे शिक्षा स्तर का मुकबला करना अमरीकियों का मकसद हो नहीं तो वो पिछड़ जायेगे .
ब्रिटिश में भी शिक्षा के साथ डिग्री का बेहद महत्व हैं नर्स डॉक्टर इंजिनियर वहाँ इस लिये इंडिया से बुलाये जाते हैं क्युकी उनको वहाँ के नागरिक से आधी तनखा दे कर भी काम चल जाता हैं . ये भारतियों की नाकाबलियत नहीं हैं उनका शोषण जरुर हैं .
एक designer हूँ मै भारत मे रह कर नेट के जरिये आर्ट वर्क बना कर भेजती हूँ . जिस आर्ट वर्क का मुजे वो ३०० डॉलर देते हैं उसका वहाँ १००० डॉलर देना होता हैं इस लिये वो मुझे काम देते हैं . लेकिन जो काम मै वहाँ के लिये करती हूँ वैसे काम का यहाँ मुझे २० डॉलर भी नहीं मिलता करना यहाँ उस तरह का काम होता ही नहीं हैं तो मिलेगा कहा से . मेरी डिग्री उन्होंने कभी मांगी नहीं क्युकी मेरा काम उनको पसंद आया लेकिन वही अगर मुझे वो नौकरी देगे तो डिग्री की मांग होंगी .

हमारे इंजिनियर , डॉक्टर या क़ोई भी जिसमे बढई , प्लुम्बेर इत्यादि भी शामिल केवल और केवल पैसा कमाने के लिये वहाँ जाते हैं क्युकी यहाँ उतना पैसा नहीं हैं १००० की जगह ३०० ही सही .
अपमान इस लिये होता हैं क्युकी वहाँ के देशवासी इनको अपना नौकर से ज्यादा नहीं समझते और वो अपमान यहाँ भी होता हैं जहां भी प्राइवेट नौकरी हैं .

हमारी शिक्षा पद्धति मे क़ोई गड़बड़ नहीं हैं बस जन संख्या ज्यादा हैं और रोजी रोटी की मारामारी रहती हैं

गुरुकुल से लेकर आज तक डिग्री और शिक्षा दोनों मे हमारे देशवासी आगे ही हैं
फोर्ब्स की लिस्ट उठा कर देखिये आप को खुद एहसास होगा

योग्यता का महत्व कम नहीं हैं योग्यता की परख करने के लिये टाइम पीरियड की जरुरत होती हैं वही डिग्री आप की योग्यता का प्रमाण पत्र हैं

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