मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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July 19, 2011

मेरा कमेन्ट "ये "बुरका अभियान " मासूमियत से चलना बंद करिये"

सामाजिक व्यवस्था में सुरक्षा की बात जब भी होती हैं लड़कियों को घर के अन्दर ही रहने के लिये कहा जाता हैं ??? सामाजिक व्यवस्था को सुधारने का विकल्प नहीं लिया जाता हैं
पिछले ३ सालो में ना जाने कितने हिंदी ब्लॉग से महिला की नगन तस्वीरे मैने हटवाई हैं , कभी उनके ऊपर भी लिखते
और ये जो प्रश्न हैं की भारतीये वस्त्र पहने बड़ा ही वाहियात प्रशन हैं क्युकी सबसे ज्यादा चलने वाली साईट सविता भाभी थी जो भारतीये वस्त्रो में सजी महिला पर ही थी .

ये पोर्न साईट का धंधा बंद हो फिर चाहे पुरुषो की तस्वीरो वाली पोर्न साईट हो या स्त्री की तस्वीरो वाली

ये "बुरका अभियान " मासूमियत से चलना बंद करिये

5 comments:

  1. आपने सही कहा कि-ये पोर्न साईट का धंधा बंद हो फिर चाहे पुरुषो की तस्वीरो वाली पोर्न साईट हो या स्त्री की तस्वीरो वाली.

    ३ सालो में ना जाने कितने हिंदी ब्लॉग से महिला की नगन तस्वीरे मैने हटवाई हैं.

    आप इस कार्य के लिए प्रशंशा की पात्र है.हमारी तरफ से शुभकामनायें.

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  2. सटीक ... आपकी बात से सहमत हूँ ..

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  3. Ladies are advised about certain norms...
    because fair sex is more vulnerable to unfair eyes !
    Who says.. Indian attire is more graceful ? Have a look at low back or backless blouses.. naval showing tightly worn sarees, exposing every detais of hip's contour.
    Till the devil dwells in human minds, porn sites are hard to go... better desist visiting there and block those links !

    approved by the blog author
    ;-)

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  4. महिला और पुरुष दोनों को इस बारे में सावधानी बरतनी चाहिये.तस्वीर लगाना न लगाना सबका निजी मामला है.

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  5. रचना जी ! अपना छवि चित्र लगाने से यदि उसके दुरुपयोग की संभावना है तो सावधानी आवश्यक है...बेशक यह दोनों ही जेंडर्स के लिए है. पर समाज में स्त्री की इज्ज़त बहुत ज़ल्दी उछलती है ...क्यों उछलती है...यह अभी मुद्दा नहीं है ...मुद्दा यह है कि हम अपनी व्यक्तिगत चीजों को सार्वजनिक दुरुपयोग से कैसे रोक पायें. मान लीजिये किसी लड़की के फोटो का दुरुपयोग हुआ ...फिर यह ज़ाहिर भी हो गया ......तब क्या उसकी शादी में परेशानी नहीं होगी ? लड़कों के साथ भी यही बात है पर कुछ समय बाद समाज इस बात को भूल जाएगा. दुर्भाग्य है कि लड़की के मामले में हमारे समाज की मान्यताएं और पैमाने अलग हैं. इसलिए जब रोग गंभीर प्रकृति का हो तो क्योरेटिव ट्रीटमेंट से पहले सिम्प्टोमैटिक ट्रीटमेंट देना ही पड़ता है. मासूम जी की सलाह से सहमत हूँ .

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