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October 07, 2010

CWG कोमन वेअल्थ गेम्स के सेलिब्रेशन कोमन मैन के लिये नहीं हैं

कल दिल्ली मे कोमन वेअल्थ गेम्स हैं और पूरी दिल्ली कोमन मैन की आवाजाही के लिये बंद हैं । दूकान बंद , सड़क बंद , मेट्रो बंद ।

अगर कॉमन आदमी सेलिब्रेट करना चाहे तो क्या करे ? देश मे महा उत्सव का माहोल हैं , दिल्ली की रौनक के चर्चे हैं पर आम आदमी इन सब से दूर कर दिया गया हैं

काश सब खुला होता लोग अपना तिरंगा लिये सडको पर टहलते दिखते । जवाहर लाल नेहरु स्टेडियम के बाहर कतारों मे खड़े आने वाले खिलाड़ियों का स्वागत करते । कनोट प्लेस मे रात को घुमते फवारो को निहारते ।

जब दिल्ली एक स्टेट नहीं थी ना जाने कितनी बार रात को दस बजे इंडिया गेट जाते थे { १९६८-१९७३ } पापा ममी के साथ फियट मे बैठ कर , १ रूपए लीटर था पट्रोल , और इंडिया गेट घूम कर आइसक्रीम खा कर राजसी ठाट थे रात मे दिल्ली बड़ी खुबसूरत थी तब भी

या फिर प्रेस रोड पर बड़े मामाजी के यहाँ २६ जनवरी की परेड देखने के लिये उनके नौकर सबरे ४ बजे से जा कर आगे की जगह रोकते और फिर ममी पूड़ी आलू बनाती और हम लोग वहाँ बैठ कर कहते । ११ बजे के आस पास परेड वहाँ से निकलती थी । फिर बीटिंग था रिट्रीट देख कर ही मॉडल टाउन वापस आते थे

या रामलीला देखने कोटला मैदान जाते जहाँ सोंग और डांस की राम लीला तीन घंटे मे पूरी दिखाई जाती १ रूपए का टिकेट होता था
या प्रगति मैदान मे फेयर देखने जाते और २ रूपए का टिकेट होता अपना और पापा की फियट का भी २ रूपए ही लगता लेकिन गाडी अन्दर पार्क होती जहां आज अड़मिनिसत्रेतिवे ब्लाक हैं

और सबसे ज्यादा मजा आता था जब रात को लाल किला देखने पैदल जाते थे प्रेस रोड से

वो सब एक सेलिब्रेशन लगता था । आज चाह कर भी अपनी भांजी को कहीं नहीं ले जा सकते क्युकी आम आदमी के लिये कुछ नहीं हैं और आम आदमी के छोटे छोटे सुख से ये पीढ़ी वंचित हैं

बहुत से ब्लॉग पर पढ़ रही थी दिल्ली मे सब कितना सुन्दर हो गया हैं और वो सब जो इसको नहीं देख पा रहे वो नकारात्मक हैं लेकिन पता नहीं क्यों जब हम दिल्ली मे रह कर आम आदमी की तरह कुछ नहीं एन्जॉय कर पा रहे तो जो दिल्ली से बाहर हैं वो इस प्रगति को क्या एन्जॉय करेगे

अभी अभी पता चला की पी टी उषा को अधिकारिक निमंत्रण नहीं दिया गया हैं ये गेम्स किसके लिये हो रहे हैं ???

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