मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

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May 02, 2009

सारथी ब्लॉग पर आंतकवादी से आम जनता का comparison

मेरा कमेन्ट http://sarathi.info/archives/2132#comment-6581 मोदेरेशन मे चलागया हैं सो यहाँ दे रही हूँ

इस आलेख मे किये गए comparison
चाहे बंद कारखानों के कर्मचारी हों, रेगिंग करने वाले हों, स्त्री-मुक्ति के वक्ता हों, अल्पसंख्यक हों, या और किसी प्रकार से संख्यक हों, हरेक का दावा है कि संविधान उनको कानूनी तौर पर जो आजादी देता है उसका हनन हो रहा है। यहां तक कि अपने सामने जो कोई पड गया उसको निर्दयता से गोली मार देने वाला पकिस्तानी अज़मल कसाब भी अब धृष्टता से अपने जीने के “हक” की मांग कर रहा है.
पर मेरी आपति दर्ज की जाए
कसाब एक आतंकवादी हैं और उसके समानान्तर किसी को भी रखना केवल और केवल एक विद्रूप मानसिकता हैं ।

अभी बहुत से ताली बजाने वाले ब्लोग्ग्रे यहाँ आकार तली बजा कर अपना कर्तव्य पूरा करेगे उससे पहले मे भारतीये संविधान मे दिये गए अधिकार और कर्तव्य का पालन करते हुआ अपनी आपति दर्ज कराती हूँ । ग़लत को मानना भी ग़लत होना ही होता हैं ।

जो लोग वाह वाही करने और ताली बजाने आये वो ज़रा संविधान पढ़ भी ले , मैने पढ़ा हैं।




4 comments:

  1. वाह, आपके कारण वहाँ जाकर पढ़ आई। गजब की तुलना है। वैसे लगता है कसाब की गोलियों में वह मारक शक्ति नहीं है जो पिन्क चड्ढियों में है। अब तक तिलमिलाहट शेष है!
    घुघूती बासूती

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  2. मेम थैंक्स यहाँ कमेन्ट देने के लिये । सुबह ही पढ़ा , मन इतना खिन्न हुआ की कह नहीं सकती । एक आम भारतीये नागरिक अगर संविधान मे दिये गये अधिकार की बात करता हैं तो उसको कसाब से मिलाना कहां की ब्लॉग्गिंग हैं ?? और जो लोग उस साईट पर जा कर तालियाँ बजाते हैं वो कंटेंट शायद पढ़ते ही नहीं या वो सब भी "चलता हैं " को मानते हैं

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  3. आपकी इस पोस्ट के ज़रिए उसे पढ़ा। बेहद ही बेतुकी तुल्ना लगी।

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  4. Dipti thanks for your comment . you also found it disgusting

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