मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

मेरे ब्लॉग के किसी भी लेख को कहीं भी इस्तमाल करने से पहले मुझ से पूछना जरुरी हैं

May 30, 2009

मेरे कैमरे से




ब्लागस्पाट के ब्लॉग पर फोटो आपके कैमरे तक नाम आप को वहाँ नज़र आ जाएगा ।

अगर आपने कभी भी कोई भी फोटो अपने ब्लागस्पाट के ब्लॉग पर अपलोड की हैं तो वो आप को इस जगह मिलजायेगी

इस बात को आगे बढाते हुए जानना चाहती हूँ की क्या आप सब ने फोटो की फोटो इन्फोर्मेशन पर नज़र डाली हैं ।
Jul 8, 2008
320×240 pixels – 25KB
Filename: 2a-741477.jpg
Camera: NIKON
Model: COOLPIX L6
ISO: 50
Exposure: 1/60 sec
Aperture: 6.4
Focal Length: 6.3mm
Flash Used: Yes
Latitude: n/a
Longitude: n/a

आपके कैमरे तक नाम आप को वहाँ नज़र आ जाएगा । तकनीक इतनी अडवांस हैं की चित्र से ही जानकारी ली गयी हैं । यानी आप चाहे या न चाहे गूगल के पास आप के कैमरे की भी जानकारी हैं । हाँअभी वो पब्लिक नहीं हैं अगर आप ने उसको पब्लिक नहीं किया हैं । साँझा ब्लोग्पर आप के ही पोस्ट किये हुए चित्र आप के अकाउंट मे दिखते हैं ।

May 28, 2009

हो सकता हैं आप को ये जानकारी पहले से ही पता हो फिर भी सोचा बाँट लूँ

अगर आपने कभी भी कोई भी फोटो अपने ब्लागस्पाट के ब्लॉग पर अपलोड की हैं तो वो आप को इस जगह मिलजायेगी

आप अगर अपना ब्लॉग या अपनी पोस्ट डिलीट कर चुके हैं तब भी चित्र by default से वहाँ रहता हैं ।


हो सकता हैं आप को ये जानकारी पहले से ही पता हो फिर भी सोचा बाँट लूँ

May 23, 2009

मुझे तो "रचना" ही कहे ,

हिन्दी ब्लोगिंग का " जी " कल्ट इस पर आयी टिप्पणियाँ पढे । P C रामपुरिया की टिप्पणी " ये तथाकथित सभ्य समाज मे रहने का बोध बना रहे इसके लिये ढकोसला है. तो आज तुम्हारे साथ यह ढकोसला तोड देते हैं."पढ़ कर महसूस हुआ की हम सब अपने चारो तरफ़ एक दीवार बना लेते हैं जिस की सीमा रेखा को तोड़ना ही नहीं चाहते हैं ।

आप भी पढे बाकी टिप्पणी और अगर आप ने भी अपने को को सीमाप से बाँध रखा हैं तो आज़ादी दे अपने आप को और इन्टरनेट पर हिन्दी ब्लोगिंग को भी ताकि खुल कर लोग विचारों को लिख सके । इन्टरनेट ने सीमओं को तोडा हैं और आप फिर उसको कैद कर रहे हैं ।
बाकी मुझे तो रचना ही कहे ,

12 comments:

हिमांशु । Himanshu said...

सही है जी ।

Udan Tashtari said...

जी, आप बात तो ठीक कह रहीं हैं रचना जी.

-लाख नौटंकी हो जाये हमारे साथ, मगर आपको हम रचना तो न कह पायेंगे, क्षमाप्रार्थी हैं जी.

venus kesari said...

बढ़िया कहाँ (जी) आपने

वीनस केसरी

"मुकुल:प्रस्तोता:बावरे फकीरा " said...

bahut khoob leejie pangaa tankee yaad hai n
naav, bhee yaad hogee, kuchh yaad naheen to bhee jai ram jee kee
aakhir peeth khujaanaa bhee to aapasee mitrataa kee zaroorat hai
fir aap vahee bat khair chhodiye aanand magn honaa zarooree hai
taareef hee to ho rahee hai
aadar hee to diyaa jaa rahaa hai bhai etaraaz kyoon ....?

ताऊ रामपुरिया said...

रचनाजी, आपने बहुत सही कहा जी. पर क्या करें हमारे पास जी का थोक स्टाक है तो इब आपको रचना नही कह सकते रचनाजी.:)

रामराम.

रचना said...

मुझे तो बहुत अच्छा लगता हैं जब नीरज रोहिला रचना कहते हैं या ममता रचना कहती है । एक समभाव महसूस होता हैं एक ऐसी जगह जहाँ हम सब बराबर हैं कोई सीमा नहीं हैं । इन्टरनेट की यही खासियत हैं की सीमाए तोड़ कर बात होती हैं ।
और अगर समीर और पीसी भी मुझे रचना कहे और आदित्य और कुश भी रचना कहे तो कितना अच्छा महसूस होगा कह नहीं सकती ।
आग्रह हैं की मुझे रचना ही कहे , ना बड़ा ना छोटा ।

अनिल कान्त : said...

bahut sahi baat kahi aapne

कुश said...

सही कह रही हो रचना.. :)

Udan Tashtari said...

ठीक है, फिर जैसा तुम चाहो, रचना.

Udan Tashtari said...

ठीक है, फिर जैसा तुम चाहो, रचना.

बी एस पाबला said...

हम तो आपको पिछली पोस्ट से ही रचना कह कर संबोधित कर रहे हैं जी :-)

ताऊ रामपुरिया said...

ठीक है रचना. हमारे यहां तो वैसे भी जी और आप जैसे संबोधन नही होते. हरयाणवी तो अपने बाप को भी जी और आप नही कहता.

ये तथाकथित सभ्य समाज मे रहने का बोध बना रहे इसके लिये ढकोसला है. तो आज तुम्हारे साथ यह ढकोसला तोड देते हैं.

पी.सी.

हां एक बात और...पर कभी कभी मजाक करने के लिये तो रचनाजी कहना ही पडेगा ना रचनाजी.:)

रामराम

May 21, 2009

तो लगा की शायद मैने नब्ज पर सही जगह हाथ रखा ।

हिन्दी ब्लोगिंग के "जी "कल्ट पर कल लिखी पोस्ट पर जो टिप्पणी आई वो सब पढ़ कर आज सुबह जब ये पढ़ा " ब्लॉगजगत में आकर मात्र यही एक घाटा लगा है कि हम अपना युवत्व असमय खोते नजर आ रहे हैं. तो लगा की शायद मैने नब्ज पर सही जगह हाथ रखा । भारतीये संस्कृति को ब्लॉग पर ला कर और जी जी से सबको संबोधित कर के हम दुसरो को बूढा बुढ़िया और अपने को सदा छोटा बनाए रखना चाहते हैं । बहुत बार कई ब्लॉगर से बात की तो पता चला की वो दादी , नानी नाना , बाबा हैं पर केवल और केवल ४८-५५ वर्ष के बीच मे हैं । उन के सम आयु के लोग जब उनको जी कहते हैं तो उन्हे बड़ा अटपटा महसूस होता पर वो कह नहीं पाते क्युकी भारतीये संस्कृति का सवाल होता हैं लेकिन ब्लोगिंग मे वो इसके अटपटे पन को महसूस करते हैं ।
चलो जी चलते हैं जी आज के लिये बस इतना ही जी गर्मी बहुत हैं जी बत्ती आती नहीं है जी
सो कल मिलते हैं कमेन्ट देते रहना जी
और हद्द तो तब होती हैं जी जब हम
आंटी जी और अंकल जी कहते हैं दो इंग्लिश के शब्दों का शुद्ध भारतीये करण जी या फिर सर जी और मैडम जी

कभी ब्लॉग मे सोनिया गाँधी जी , अमिताभ बच्चन जी , आमिर खान जी लिखा या बोला जाता है { कोई कहीं ना कही से साक्ष्य ले ही आयेगा , आई ऍम श्योर जी } ।

फोस्सिल ""Ida"



"MISSING LINK" FOUND: New Fossil Links Humans, Lemurs?

फोस्सिल ""Ida"

May 20, 2009

नयी दिशा नया आयाम

ब्लोगिंग मे नाम के साथ जी लगाना ???
ये ठीक हैं की हमारी संस्कृति मे जी एक आदर सूचक शब्द हैं लेकिन ब्लोगिंग मे जी की प्रथा कुछ समझ नहीं आती ।
कई बार मे भी कमेन्ट मे जवाब देते समय जी लगाती हूँ पर वो जब बाद मे पढ़ती हूँ तो गलत ही लगता हैं ।
क्या जी लगा देने से आदर घटता या बढ़ता हैं या हम सब जी इसलिये लगाते हैं क्युकी हम सब अपनी उम्र कम और दूसरो की उम्र ज्यादा दिखाते हैं । क्या हम हमेशा ही छोटे बने रहना चाहते हैं या हम जी लगा कर एक सम्बन्ध स्थापित करना चाहते हैं ताकि अगर हम तीखा लिखे तो भी कुनैन को चाशनी मे लपेट कर परोसे ।
आपसी बोलचाल मे तो सही लगता हैं पर ब्लॉग पर ............

और
अगर ब्लॉगर प्रोफाइल पर उम्र नहीं हैं तो ब्लॉगर हम से बड़ा ही हैं ये कैसे पता और अपने से कम उम्र के ब्लॉगर के नाम के साथ भी जी

मेरी सम्भव कोशिश होती हैं इस ब्लॉग पर अपनी मानसिक कशमकश को आप से बाटने की आप जो लिखते हैं उससे सोच को नयी दिशा तो नहीं पर एक नया आयाम जरुर मिलता हैं

May 19, 2009

हिन्दी ब्लोगिंग मे एक "कल्ट" बिल्कुल ओब्सिलीट हो चला हैं

हिन्दी ब्लोगिंग मे एक "कल्ट" बिल्कुल ओब्सिलीट हो चला हैं वो हैं कमेन्ट मे "साधुवाद " का कल्ट । हिन्दी ब्लोगिंग के शुरू के सालो मे ये कल्ट बहुत "प्रचण्ड" रहा । कम लोग लिखते थे और सब एक दूसरे की तारीफ़ हे करते हैं । जितनी पुरानी पोस्ट पढी हैं उन सब मे कही न कही इस साधुवाद कल्ट की की ध्वनि सुनाई दी हैं ।

आज कल साधुवाद से ऊपर उठ कर लो वाद विवाद और संवाद की और बढ़ रहे हैं जो मानसिक परिपक्वता का द्योतक हैं । वाद विवाद और संवाद को कुंठा से जोड़ना ग़लत हैं । वो कोई भी मस्तिष्क जो प्रश्न नहीं करता अपना काम ही नहीं करता हैं ।

प्रश्न करने की ताकत ही हम को सम सामयिक बनाती हैं बस प्रश्न मे हम दूसरो की निजता पर आक्षेप ना करे । वाद विवाद और संवाद मे जब हम दुसरे की निजता को लाते हैं तो हम विषय से हट कर बात करते हैं ।

एक बहुत अच्छा लिंक हैं पढ़ना चाहे तो क्लिक करे

May 17, 2009

ब्लोगिंग मे २५ स्टाईल प्रचलित हैं

ब्लोगिंग मे २५ स्टाईल प्रचलित हैं इस लिंक पर जा कर आप देख सकते हैं और अगर सही लगे तो बताये आप का ब्लॉग किस स्टाइल मे आता हैं और मेरा ब्लॉग किस स्टाइल मे आता हैं
ब्लोगिंग स्टाइल

एक परिवार हैं हिन्दी ब्लोगिंग सही हैं पर हम सब कर क्या रहे हैं ??

ब्लोगिंग क्या है और क्या हिन्दी मे सच मे ब्लोगिंग होती हैं पर बहुत सी पाठक प्रतिक्रिया मिली हैं आप यहाँ देख सकते हैं ।

ब्लोगिंग यानी वेबलॉग यानी एक डायरी नुमा लेखन जिसमे आप जो चाहे दर्ज कर सकते हैं । अब जो चाहे का अर्थ कुछ भी हो सकता हैं । लेकिन ऐसा नहीं हैं ।
ब्लोगिंग मेरे ख्याल से विषय आधारित होती हैं और जहाँ विषय आधारित होती हैं वहाँ बहुत पढी भी जाती हैं ।
ब्लोगिंग इंग्लिश से शुरू हुई होगी क्युकी कंप्यूटर इंग्लिश मे ही था शुरू मे । धीरे धीरे भाषा की सीमाये टूटी और हिन्दी मे भी ब्लॉग बने लेकिन श्याद एक भी हिन्दी का ब्लॉग ऐसा नहीं हैं जिसकी चर्चा पुरी विश्व मे ना सही पूरे हिंदुस्तान मे हो । किसी भी हिन्दी ब्लॉग पर हिन्दी से इतर कुछ नहीं लिखा जाता और इसीलिये हिन्दी का जो पाठक वर्ग हैं वो सिमित हैं । हिन्दी ब्लॉग अग्रीगेटर की सहायता के बिना पड़ने मे नहीं आ पाते हैं ।

इंग्लिश का एक बहुचर्चित अखबार हैं जिसने अपनी वेबसाइट पर ब्लॉग लेखन का भी कोलौमं बनाया हैं । वहाँ बहित से ब्लॉगर इंग्लिश मे ब्लॉग लिखते हैं और उनके विषय समस्या आधरित होते जो देश मे व्याप्त हैं । वो ब्लॉगर अपने ब्लॉग मे उन समस्याओं पर अपना नजरिया देते हैं और फिर उनके यहाँ जो लोग कमेन्ट करते हैं वो अपना नजरिया देते हैं ।
प्रति टिप्पणी बहुत कम होती हैं क्युकी बात अलग अलग नज़रिये की होती हैं ना की बहस की ।

हिन्दी मे आज भी ब्लोगिंग का मतलब हिन्दी हैं और इससे आगे कुछ नहीं । हिन्दी कैसे लिखे , सही हिन्दी कैसे लिखे । हिन्दी के साहित्यकारों को पढे ।

क्या हिन्दी ब्लोगिंग का लक्ष्य यही हैं ??
हिन्दी ब्लोगिंग की चर्चा अगर मीडिया मे होती हैं तो उन्ही अखबारों मे होती हैं जहाँ ब्लॉगर के मित्र काम करते हैं ।

हिन्दी ब्लॉगर एक दूसरे की तारीफ़ , चापलूसी और खिचाई से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं । विषय भी वही हैं जो सिमित मानसिकता को दर्शाते हैं । एक परिवार हैं हिन्दी ब्लोगिंग सही हैं पर हम सब कर क्या रहे हैं ??

इस पोस्ट के कमेंट्स को चर्चा पर भी देखा जा सकता हैं

May 16, 2009

मन मे आ रहा हैं की काश अपनी बंधी हुई सोच को बदल कर सोनिया को प्रधानमत्री पद के लिये उपयुक्त पात्र मान लेती ।

मैने कांग्रेस को वोट नहीं दिया था पर आज नतीजो के रुझान पर नज़र गयी हैं तो सोनिया गाँधी को सलुते करने का मन कर रहा हैं क्युकी उन्होने टूटी बिखरी कांग्रेस को फिर से खड़ा कर दिया एक नेशनल पार्टी के रूप मे ।

मन मे आ रहा हैं की काश अपनी बंधी हुई सोच को बदल कर सोनिया को प्रधानमत्री पद के लिये उपयुक्त पात्र मान लेती । केवल और केवल उनका विशेसी मूल का होना ही इस बात मे बाधक हैं ।

May 15, 2009

क्या हिन्दी मे सच मे "ब्लोगिंग" होती हैं ?

ब्लॉग का मतलब क्या हैं ?
ब्लॉग लेखन क्या होता हैं ?
ब्लॉगर कौन होता हैं ?

क्या हिन्दी मे सच मे "ब्लोगिंग" होती हैं ?

कुछ आप को पता हो तो हमे भी बताए आज कल हजारो की संख्या बतायी जां रही हैं हिन्दी ब्लोग्स की क्या वाकई ?? इतने ब्लॉग हैं अगर तो क्या चल रहा हैं हिन्दी ब्लोगिंग मे ?
अरे अभी तो उत्तर नहीं मिला हैं की क्या हिन्दी मे वाकई ब्लोगिंग होती हैं

May 14, 2009

आज वरुण का जन्म दिन हैं वरुण कौन ?? अरे मीनू का बेटा ??


आज वरुण का जन्म दिन हैं वरुण कौन ?? अरे मीनू का बेटा ?? अब ये मीनू कौन ? अरे वहीँ मीनाक्षी
जी

सो हमने सोच हम मौसी होने का फ़र्ज़ निभाये और वरुण कोआर्शीवाद और बधाई दे दे ।
वरुण आज २३ वर्ष का होगया हैं

many many happy returns of the day to a very brave nephew
may u live long to enjoy all the joys of life
today you are alone in your home but loneliness is not what you should feel
being alone means having your own space and freedom
HAPPY BIRTHDAY

May 13, 2009

हिन्दी ब्लोगिंग के खंडहर

हिन्दी ब्लोगिंग पहुंची कहां तक

पता नहीं अभी तो बस महान ब्लॉगर

स्पेल्लिंग सम्भालने मे लगे हैं

कभी हिन्दी की तो कभी इंग्लिश की

जब स्पेल्लिंग सब की सही कर लेगे

तब ब्लॉगइंग करेगे

तब तक समय आगे चला जायेगा

और हिन्दी के महान ब्लॉगर

फेमस ब्लॉगर

हिन्दी ब्लोगिंग के खंडहर बन कर

जीण शीण हो कर झर रहे होगे

ब्लॉगर कार्यशाला इंतज़ार बदसतूर जारी हैं

हिन्दी के साहित्य के जानकार
बन गये हैं ब्लॉगर
पूछो क्यूँ

फेमस होये का चाहि


सो गंगा किनारे चौकडी जमाई
फोटो खिचाई
खुदई अख्बारना मा छपवाई


अब का का बताई
ज्यादा लिखबे
तो बात दूर तलक जाई

इन्टरनेट से दूर लोगो
को ब्लॉग का हैं
इका ज्ञान देवे का खातिर
इतना चकलस काहे किये हो

गंगा किनारे वाला छोरा
अपने ब्लॉग से बहुत पहले
लोगन को ब्लॉग का है
समझाये चुका

अब तुम साची साची कह देओ
अपने अपने ब्लोगान माँ
कितना कितना वेब लोग लिखते हो भैया

लाल भुज्हकड़ याद आया
निष्कर्षवा पढ़ के
कि प्रिंट मीडिया जरुरी हैं
प्रचार प्रसारवा के लिये

अब कितने अखबार हैं
देश विदेश माँ
प्रिंट मीडिया का बस हिन्दुस्तान मा ही हैं

कौन कौन से अख्बारना मा
इस दश के पहले ब्लॉगर सम्मलेन !!!??
कि ख़बर आयी हैं
तनिक हमका भी बताओ

और

आकडो कि गलती
प्रिंट मीडिया कि गैर जिम्मेदारी
वाह

ऐसी ब्लॉगर कार्यशाला
मे पढ़ कर कितने ब्लॉग
बनगे
और क्या क्या लिखेगे

इंतज़ार बदसतूर जारी हैं

May 09, 2009

आदित्य और उसकी नानी को आप की साहयता की जरुरत हैं ,

नारी ब्लॉग पर एक कमेन्ट आया हैं जिस मे कुछ जानकारी मांगी गयी हैं
आप सब से निवेदन हैं की अगर कोई जानकारी आप मे से किसी के भी पास हो जिस से आदित्य की साहयता हो सके तो उस जानकारी को बांटे । ब्लॉग के जरिये इन्फोर्मशन हाईवे बन सकता हैं ।

कमेन्ट यहाँ आया हैं

इन संस्थानों को महिला की सहायता के लिये चलाया जारहा हैं

आप जानकारी इस पोस्ट पर दे या आदित्य के ईमेल पर पर अगर जान करी हैं तो बाँट कर साहयता जरुर करे ।


आदित्य has left a new comment on your post "इन संस्थानों को महिला की सहायता के लिये चलाया जार...":

रचना जी बहुत शुक्रिया ,बहुत संछिप्त में कहूँगा -मेरी नानी माँ की ज़मीन मेरे मामी-मामा जी ने अपने पजेसन में कर ली हैं ,ज़मीन से बेदख़ल नानी माँ अब घर बार से भी परेशान हैं ,देखने -सुनने में सुसंस्कारित नानी माँ के बहु -बेटा आत्म निरिक्षण कर यही पाते हैं कि वे तो सही हैं ,उन्होंने संस्कारों के अलावा माँ को भी जीवन से विदा कर दिया हैं ,नानी माँ को उनके अधिकार पुनः प्राप्त हो ,इस हेतु मध्य प्रदेश के सागर जिले से सम्बंधित कोई ger सरकारी संसथान के विषय में जानकारी दे तो सुविधा रहेगी ,ज़रूरी बात मामा जी ने अब तक takatver लोगो से sampark mazbut कर लिया हैं ,रचना जी मैं किसी को nuksan नही pahuchana चाहता ,नानी माँ को उनकी ikchha के mutabik ,अधिकार तो होने चाहिए ,सब कुछ होते हुए भी vo haashiye per qyon रहे ?
शुक्रिया ............................adivds@gmail.कॉम ,


आदित्य और उसकी नानी को आप की साहयता की जरुरत हैं , मै आदित्य को नहीं जानती पर चाहती हूँ की हम कुछ कर सके तो करे ।

May 07, 2009

श्री रबिन्द्रनाथ टैगोर जन्म दिन और गूगल



गूगल पर श्री रबिन्द्रनाथ टैगोर का चित्र देख कर याद आया की आज उनका जन्म दिन { 7 May 1861 – 7 August 1941) } हैं । वाह गूगल अच्छा याद दिलाया । एक कविता ही पढ़ ली टैगोर की दुबारा , आप भी पढे





INDOlink Potery: My Dependence

My Dependence

by Rabindranath Tagore


I like to be dependent, and so for ever

with warmth and care of my mother

my father , to love, kiss and embrace

wear life happily in all their grace.

I like to be dependent, and so for ever

on my kith and kin, for they all shower

harsh and warm advices, complaints

full wondering ,true and info giants.

I like to be dependent, and so for ever

for my friends, chat and want me near

with domestic,family and romantic tips

colleagues as well , guide me work at risks.

I like to be dependent, and so for ever

for my neighbours too, envy at times

when at my rise of fortune like to hear

my daily steps , easy and odd things too.



May 05, 2009

आप भी पढिये इस ख़बर को

आज सुबह ये ख़बर पढ़ कर लगा की हम कितने पिछडे हुए हैं । आज भी दलित बच्चों को खाना अलग बर्तनों मे दिया जाता हैं । आज भी उनको अलग बिठा कर खिलाया जाता हैं । और वो भी स्कूल मे जहाँ शिक्षा मिलनी चाहिये बराबरी की और समानता की ।
आप भी पढिये इस ख़बर को
दलित बच्चे

May 04, 2009

इस पोस्ट पर कमेन्ट करने कि सुविधा नहीं हैं ।

इस लिंक पर "गौरव" ने कुछ ब्लॉग के लिंक दिये हैं । ये लिंक मैने बहुत पहले देखा था पर तब वहाँ किसी भी ब्लॉगर का कोई कमेन्ट नहीं था , मैने भी नही दिया । कल दुबारा देखा काफी कमेन्ट थे मै भी दे आयी ।
इस लिंक को दुबारा देख कर आँख खुल गयी , आज भी लोग गाँव और देहात कि बात हो तो अपने को शहर वाला कहना ही पसंद करते हैं । दुसरो को भाषण देना कितना आसन होता हैं पर जब बात अपने पर आती हैं तो सब इंग्लिश वाला कहलाने मे ही फक्र महसूसते हैं । इस पोस्ट पर कमेन्ट करने कि सुविधा नहीं हैं । आप पढ़ ले और अगर उस लिंक पर आप को "in between the lines " पढ़ना आता हो तो आप को कमेन्ट मे वहाँ बहुत कुछ मिलेगा जो आप सब को महसूस करायेगा कि लोग दोहरी जिंदगियां जीते हैं । और अगर आप को वहाँ कुछ नहीं भी दिखता तो एक अच्छा लिंक ही पढ़ ले ।

मै निरंतर कोशिश करती हूँ कि ब्लोगिंग करूँ , ब्लोगिंग यानी अपनी महसूस कि हुई बात को बिना लाग लपेट कर जो कहा जाए वही सच हैं को इन्टरनेट के माध्यम से लोगो तक पहुचाना ।

आप चाहे तो मुझे "whistleblower " कह सकते हैं

May 03, 2009

एक प्रश्न

अगर किसी ब्लॉगर को अपनी पोस्ट पर आयी टिप्पणियों के बाद हर कमेन्ट करने वाले को ये समझाना पडे की विषय वस्तु क्या थी , तो उस ब्लॉगर को आप क्या कहते हैं ??

May 02, 2009

सारथी ब्लॉग पर आंतकवादी से आम जनता का comparison

मेरा कमेन्ट http://sarathi.info/archives/2132#comment-6581 मोदेरेशन मे चलागया हैं सो यहाँ दे रही हूँ

इस आलेख मे किये गए comparison
चाहे बंद कारखानों के कर्मचारी हों, रेगिंग करने वाले हों, स्त्री-मुक्ति के वक्ता हों, अल्पसंख्यक हों, या और किसी प्रकार से संख्यक हों, हरेक का दावा है कि संविधान उनको कानूनी तौर पर जो आजादी देता है उसका हनन हो रहा है। यहां तक कि अपने सामने जो कोई पड गया उसको निर्दयता से गोली मार देने वाला पकिस्तानी अज़मल कसाब भी अब धृष्टता से अपने जीने के “हक” की मांग कर रहा है.
पर मेरी आपति दर्ज की जाए
कसाब एक आतंकवादी हैं और उसके समानान्तर किसी को भी रखना केवल और केवल एक विद्रूप मानसिकता हैं ।

अभी बहुत से ताली बजाने वाले ब्लोग्ग्रे यहाँ आकार तली बजा कर अपना कर्तव्य पूरा करेगे उससे पहले मे भारतीये संविधान मे दिये गए अधिकार और कर्तव्य का पालन करते हुआ अपनी आपति दर्ज कराती हूँ । ग़लत को मानना भी ग़लत होना ही होता हैं ।

जो लोग वाह वाही करने और ताली बजाने आये वो ज़रा संविधान पढ़ भी ले , मैने पढ़ा हैं।




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